लेखनी कविता - पुलिस अफ़सर - नागार्जुन

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पुलिस अफ़सर / नागार्जुन  हज़ार-हज़ार बाहों वाली » जिनके बूटों से कीलित है, भारत माँ की छाती जिनके दीपों में जलती है, तरुण आँत की बाती ताज़ा मुंडों से करते हैं, ...

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